|| श्री गौमाता की जय ||

गौशाला कुकाने

हमारी संस्कृति में गाय को संपूर्ण विश्व की माता माना गया है। गाय के अंगों में संपूर्ण देवताओं का निवास बताया गया है। गाय को एक पवित्र शक्ति के रूप में भी हमारे धर्म ग्रंथों में माना गया है। केवल गो माता की सेवा से ही संपूर्ण देवी देवताओं की सेवा संपन्न मानी गई है, और इसलिए गो माता को सर्वदेवमयी और सर्वतीर्थमयी भी कहा जाता है। गो माता के दर्शन मात्र से समस्त देवताओं के दर्शन एवं समस्त तीर्थो का पुण्य भी प्राप्त हो जाता है। गो माता दर्शन, गो माता पूजन, स्मरण, कीर्तन, और गोदान करने से मनुष्य सर्व विधि पापों से मुक्त होकर अक्षय लोक को प्राप्त करता है। गो माता की परिक्रमा से संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा मानी जाती है। गाय का दूध पीने में अमृतमय माना गया है जो तुरंत बल और शक्ति देता है, हमको तरोताजा कर, ऊर्जा देता है। जन्मे हुए बच्चे को तो प्रथम के कुछ बरसों तक गो माता के दूध से ही पोषण किया जाता है। इन सब कारणों से गो माता के दूध को अमृत तुल्य माना जाता है। गो माता की इतनी महिमा होने की वजह से ही भगवान श्री कृष्ण बिना जूतो के गायों को चराने जाते थे, जिसकी वजह से उनका नाम गोपाल पड़ा। उन्होंने गो माता की सेवा को बहुत महत्व दिया।

* गो सेवा के लाभ *

कुकांने गौशाला की विशेषताए

गौशाला कुकाने

  • कूकांने गौशाला में कत्लखाने से छुडाई हुई ४९० गौ माता कि सेवा की जाती है. जिसमें सिर्फ २५ गौ माता ही दूध देती है.
  • मालेगांव में सबसे नजदीक ट्रेकिंग पॉइट, प्राकृतिक वातावरण में जोंगीग ट्रेक व पिकनिक पॉइट है.
  • आध्यात्मिक और धार्मिक वातावरण का संगम है, यहाँ पर राधाकृष्ण मंदिर, शिव परिवार मंदिर और बालाजी हनुमान मंदिर है. जहाँ पर आप मेडिटेशन भी कर सकते हैं. गौशाला का माहौल प्राकृतिक, रमणीय, हराभरा है. यहां पर नक्षत्र वन घन वन
  •  (ऑक्सीजन जॉन) और देवराई में विभिन्न प्रकार के पैड़ पौधे लगाए गए है तथा गौशाला परिसर में गायों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए (चारा) अंजन के छ: से सात हजार पौधे और नीम, पीपल, एवं वट वृक्ष भी लगाए हुए हैं.
  •  गौशाला जाने का रास्ता सरल और सुगम हो गया है. हाईवे की बहुत ही बढ़िया सड़क मार्ग तैयार होने से साइक्लिंग वालों के लिए स्वर्ग से ज्यादा सुन्दर है.
  • आप लोगों के सहयोग से गौ शाला में नजदीक की पहाड़ी का पानी लाने और १४ चेक डेम बनाने से गौ माता के पीने के पानी तथा पैड़ पौधों के लिए गर्मी में टैंकर से पानी देने की समस्या का हल लगभग हो गया है. डेम में पानी होने से पक्षियों का आवागमन बढ़ा है, बरसात के मौसम में इसका भी आंनद लिया जा सकता है

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